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यादों का सफ़र…
कभी सुनता हूँ दस्तक-उस प्रलय की,घोर फिजाओं में!कभी रोता हुवा ..सूखे दरख्त कोनिचोड़ता हूँ.पल भर में अमानत,खोजता हुवा सा,दर दर भटकता हूँ.दिन भर में सजावट-देखता हुवा सा ..मर मर कर हँसता हूँ.यूँ तो बिख…